Thursday, 14 September 2017

राष्ट्रीय स्तरीय रिसर्च में सी.एम.सी लुधियाना और सेन्ट्रल लेनकाशिर (यु.के) साथ में करेंगे काम

सेन्ट्रल लेनकाशिर (UCLan),यु.के ने अनुदान के लिए बोली में £ 1.9 मिलियन (पाउंड्स) जीते हैं जिससे की उसे अब यह ग्रांट नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (एन.आई.एच.आर) की ओर से मिलेगा जिससे के वह भारत में स्ट्रोक का इलाज और बहतर कर पाएंगे |

प्रोफेसर जेयराज डी पांडियन, जो के सी.एम्.सी. लुधियाना के उप-डायरेक्टर और न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड भी है उन्होंने ने कहा की यह तीन साल का प्रोजेक्ट, सितम्बर में शुरू होने वाला हैं | इस प्रोजेक्ट में UCLan, सी.एम.सी लुधियाना, भारत और ऑस्ट्रेलिया में स्तिथ जॉर्ज इंस्टिट्यूट भारत वर्श में विकासशील देशों की सहायता के लिए स्ट्रोक के मरीजो की देखभाल और विशिष्ट प्रक्रियाओं के लिए सर्वोत्तम अभ्यास की पहचान करेंगे |

भारत में स्ट्रोक की घटनाएं बढ़ रही हैं और ब्रिटेन में 70 वर्ष की तुलना में भारत में स्ट्रोक से पीड़ित लोगों की औसत उम्र 50 वर्ष है। यह मुख्य रूप से पर्यावरणीय कारकों के अतिरिक्त आबादी की जीवनशैली में बदलाव के कारण है, जैसे खराब रहन-सहन की स्थिति में स्वास्थ्य जागरूकता की कमी और विखंडित स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना के कारण हैं |

UCLan में स्वास्थ्य और वैल-बीइंग के संकाय में प्रोफेसर डेम कैरोलिन वॉटकिंस, रिसर्च एंड इनोवेशन के फैकल्टी डायरेक्टर ने कहा: “स्ट्रोक सबसे गंभीर जानलेवा स्थिति में से एक है जिस से लोग पीड़ित हो सकते है, यही वजह है कि शीघ्र और प्रभावी देखभाल बहुत जायदा महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए सटीक निदान के लिए कि क्या स्ट्रोक एक रक्तस्राव या रक्त के क्लॉट कारण होता है, और संबंधित विकारों का सटीक मूल्यांकन, सही प्रकार के उपचार का निर्धारण करेगा। यह उन लोगों के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक तीव्र स्ट्रोक देखभाल में अमूल्य अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है जो दीर्घकालिक क्षति के खतरे में सबसे अधिक हैं। UCLan के तीन सदस्यों की एक टीम सी.एम.सी लुधियाना की यात्रा पर थी और एक संयुक्त बैठक नई दिल्ली में 15 सितंबर को होगी।

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