कई हाई प्रोफाइल हत्याओं का पांचवां दोषी हरदीप सिंह उर्फ शेरा गिरफ़तार – डी. जी. पी.
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November 10, 2017
यू. के., इटली और कैनेडा में बैठे आंतकी संचालकों सम्बन्धी मिली अहम जानकारी
लुधियाना, : पंजाब पुलिस के प्रमुख डी. जी. पी. श्री सुरेश अरोड़ा ने आज लुधियाना में पत्रकारों से बातचीत करते बताया कि पुलिस ने बीते समय दौरान सोची समझी साजिश के तहत की गई हत्याओं के प्रमुख दोषिओं को गिरफ़्तार करने में सफलता हासिल की है। इन हत्याओं में ब्रिगेडियर गगनेजा कत्ल और अन्य मामले शामिल हैं। आर. एस. एस., शिव सेना और डेरा सच्चा सौदा नेताओं की हत्याओं से सम्बन्धित इन सात मामलों में से 6 मामलों में अब तक 5 कथित हत्यारो की गिरफ़्तारी हो चुकी है।
डी. जी. पी. श्री सुरेश अरोड़ा ने बताया कि इन घटनाओं को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान की खुफ़िआ एजेंसी आई. एस. आई. द्वारा रची गई साजिश के अंतर्गत हत्यारो का संचालन करने एवं विदेशों से फंडिंग के बारे में यू. के., इटली और कैनेडा से सम्बन्धित व्यक्तियों बारे भी अहम जानकारी प्राप्त करने में सफलता हासिल हुई है। इन हत्याओं पीछे खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (के. एल्ल. एफ़़.) की भूमिका की भी जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि जांच अभी प्रारभिक पर होने के कारण अभी ज़्यादा विवरण सांझे किये जाने संभव नहीं हैं।
डी. जी. पी. (इंटेलिजेंस) श्री दिनकर गुप्ता और अन्य सीनियर पुलिस आधिकारियों की हाजिऱी में खुलासा करते हुए पुलिस प्रमुख ने कहा कि इन हत्याओं के लिए जि़म्मेदार पांचवां दोषी हरदीप सिंह उर्फ शेरा पुत्र दलजीत सिंह निवासी गांव माजरी कीहनेवाली, डाकख़ाना अमलोह (जिला फतेहगढ़ साहिब), रमनदीप सिंह उर्फ कैनेडियन उर्फ बिल्ला पुत्र गुरदेव सिंह निवासी चूहड़वाल, पुलिस स्टेशन मेहरबान (लुधियाना) के साथ मिलकरर मोटरसाईकलोंं पर सवार हो कर हत्याओं को अंजाम देता था।
यहां बताने योग्य है कि रमनदीप उर्फ कैनेडियन को बीते बुधवार को गिरफ़्तार कर लिया गया था, जबकि हरदीप सिंह को आज फतेहगढ़ साहिब स्थित बाजवा जिम्म से उस समय पर गिरफ़्तार किया गया। श्री अरोड़ा ने कहा कि हरदीप सिंह प्रत्येक घटना को अंजाम देने के बाद विदेश को चला जाता था, जिस कारण उसको इन सभी मामलों के साथ जोडऩे में दिक्कत पेश आ रही थी। उन्होंने बताया कि हरदीप 6 अगस्त, 2016 को आर. एस. एस. नेता गगनेजा को मौत के घाट उतारने उपरांत 12 अगस्त, 2016 को इटली को चला गया था। यह केस सी. बी. आई. को सौंपा गया था परन्तु इस मामले में कोई भी लीड न मिलने के चलते सी. बी. आई. को भी कोई सफलता हासिल न हुई थी। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक नेताओं को निशाना बना कर राज्य में सांप्रदायिक सदभावना के माहौल को बिगाडऩे की साजिश के पीछे पाकिस्तान, यू. के., इटली, कैनेडा और अन्य यूरोपीय देशों में रहनेवाले आतंकवादियों का हाथ था।
श्री अरोड़ा ने बताया कि इन मामलों में पहले भी तीन दोषियों में से जम्मू निवासी जिंमी सिंह, जो कि कई साल यू. के. में रहने उपरांत भारत आया था, को 1नवंबर, 2017 को नयी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ़्तार किया था। इसके अलावा जगतार सिंह जौहल उर्फ जग्गी (जो कि यू. के. का नागरिक है और उसने पिछले महीने ही विवाह किया था) और धर्मेंद्र उर्फ गुगनी (मेहरबान लुधियाना का गैंगस्टर जो कि हत्यारों को हथियार स्पलाई करता था) को गिरफ़्तार किया था।
उन्होंने कहा कि इन गिरफ़्तारियां से सात नेताओं के कत्ल के अलावा आर. एस. एस. की शाखाओं और लुधियाना के हिंदु नेता अमित अरोड़ा पर गोलीबारी की घटनाएँ को भी सुलझा लिया है। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2016 से फरवरी 2017 तक पाँच घटनाएँ घटीं, जबकि दो घटनाएँ को जुलाई और अक्तूबर 2017 में अंजाम दिया गया।उन्होंने कहा कि इन हत्याओं के दौरान इस्तेमाल करे गए तीन मोटरसाईकल और पांच हथियार बरामद कर लिए गए हैं। हथियारों में 9 एम. एम. पिस्तौल, 32 बोर पिस्तौल, 30 बोर पिस्तौल, 315 बोर पिस्तौल (सिंगल शाट कंट्री मेड), एयर पिस्तौल (सविस मेड) और 60 कारतूस शामिल हैं। एयर पिस्तौल को दोषियों द्वारा प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाता था ।
उन्होंने कहा कि आर. एस. एस. नेता गगनेजा की मौत के लिए इस्तेमाल करा गया मोटरसाईकल घटना उपरांत कातिलों द्वारा सरहिन्द नहर में फैंक दिया गया था, जो कि आज हरदीप की गिरफ़्तार के बाद उसकी निशानदेही पर हासिल कर लिया गया है। प्राथमिक जांच से यह बात सामने आई है कि पंजाब के माहौल को बिगाडऩे यह अंतरराष्ट्रीय साजिश विदेशी धरती पर रची गई थी।
उन्होंने कहा कि यह साजिश पेशेवर व्यक्तियों द्वारा बहुत ही योजनाबद्ध तरीको साथ रची गई थी, जिस के अंतर्गत अपराधी घटना को अंजाम देने उपरांत कोई भी निशाने पीछे नहीं छोड़ते थे, जिस कारण केंद्रीय जांच एजेंसियाँ को भी इन घटनाओं को सुलझाने में मुश्किल पेश आ रही थी। दूसरे तरफ़ अल्पसंख्यक समुदायों में भी असुरक्षा की भावना पैदा हो रही थी।
उन्होंने कहा कि पंजाब का माहौल खऱाब करने की नीयत के साथ ही आर. एस. एस. नेताओं को निशाना बनाया जाता था। वह घटना को अंजाम देने से पहले बाकायदा अपने निशानो की रेकी करते थे। ब्रिगेडियर गगनेजा मामले में दोषी घटना को अंजाम देने से पहले तीन बार जालंधर गए और चौथे दिन घटना को अंजाम दिया। वह घटना को अंजाम देने समय पर सी. सी. टी. वी. कैमरों से बचने के लिए मुँह ढँक लेते थे और प्रत्येक घटना के बाद अपने कपड़े नष्ट कर देते थे।
श्री अरोड़ा ने कहा कि पंजाब पुलिस यू. के., कैनेडा और इटली में बैठ कर सोशल मीडिया के द्वारा इस पूरे नैटवर्क को कंट्रोल कर रहे इनके सरपरस्त तक पहुँचने वाली है। यह लोग सोशल मीडिया के द्वारा कट्टड़पंथियों के साथ संपर्क करके उनको इस तरफ़ धकलते थे। उन्होंने कहा कि हरदीप और रमनदीप दोनों ही फेसबुक्क के द्वारा इनके संपर्क में आए थे।
उन्होंने कहा कि हालाकि हरदीप और रमनदीप एक दूसरे बारे बहुत कुछ नहीं जानते थे परन्तु फिर भी उन्होंने काफ़ी तालमेल के साथ घटनाओं को अंजाम दिया। उनको मोबाइल एप्लीकेशन सिग्नल के साथ दिशा निर्देश दिए जाते थे और आसान निशानों की खोज करने के लिए कहा जाता था। ब्रिगेडियर गगनेजा और पास्टर को निशाना बनाने संबंधीे इनको इनके सरपरस्तों द्वारा निर्देश दिए गए थे, जबकि बाकी निशाने इनकी तरफ से ख़ुद ही निर्धारित किये गए थे।
इस अवसर पर डी. जी. पी. श्री अरोड़ा ने पंजाब पुलिस और इंटेलिजेंस के सीनियर आधिकारियों सहित पूरी टीम की विशेष तौर पर सराहना की।