1 करोड़ का कोच: गेट बंद होते ही लाइट हो जाती है ऑन, टॉयलेट भी सेंसर वाले
वडोदरा। देश की सबसे अधिक तेज दौड़ने वाली ट्रेन ‘गतिमान’ ने मंगलवार को अपनी पहली ट्रिप सफलतापूर्वक पूरी की। क्या आप जानते हैं कि 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली इस ट्रेन के एक कोच की कीमत 1 करोड़ रुपए है। जी हां, ट्रेन के हाईटेक कोच गुजरात के वडोदरा की ‘हिंदुस्तान फाइबर ग्लास कंपनी’ ने डिजाइन किए हैं। 160 कि.मी. प्रतिघंटे की रफ्तार के बाद भी ट्रेन में झटके कम लगते हैं...
मंगलवार को दिल्ली-निजामुद्दीन से आगरा के बीच दौड़ी इस ट्रेन ने अपने नियत समय 100 मिनट से एक मिनट पहले ही आगरा पहुंचकर कीर्तिमान रचा। कोच में टॉयलेट केबिन, साइड पैनल और सीलिंग पैनल बनाने का कॉन्टैक्ट वडोदरा की हिंदुस्तान फाइबर ग्लास कंपनी को दिया गया था। इस ट्रेन की गति इतनी अधिक होने के बाद भी इसमें झटके अपेक्षाकृत कम लगते हैं। कोच में एयरक्राफ्ट जैसे सेंसर वाले हाईटेक टॉयलेट भी हैं।
प्लेन की तरह है कोच की डिजाइन:
कम दूरी की यह ट्रेन चेयरकार और दिन में चलने वाली है। ट्रेन में तेजी के साथ एयरक्राफ्ट जैसी सुविधा दी गई है। टॉयलेट में सभी चीजें सेंसर वाली लगाई गई है। यानी इसमें काफी सुविधाएं प्लेन की तरह ही हैं। ट्रेन में हाई पावर इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम, ऑटोमेटिक फाइयर अलार्म, जीपीएस पर आधारित यात्री के लिए जानकारी, इंफोटेंमेंट के लिए लाइव टीवी और कोच में स्लाइडिंग डोर जैसे फीचर्स भी हैं।
अभी 20 कोच तैयार, 50 और बनाए जाएंगे:
हिंदुस्तान फाइबर ग्लास कंपनी के सीईओ आशीष पटेल ने बताया कि इस कोच की डिजाइन ऐसे तैयार की गई है कि यदि ट्रेन 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़े तो भी यात्री को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। अभी हमने केवल 20 कोच ही तैयार किए हैं। बहुत ही जल्द 50 कोच और तैयार किए जाएंगे। एक कोच तैयार करने में एक करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
जल्द ही ट्रेन 6 रूटों दौड़ेगी:
निजामुद्दीन-आगरा का प्रयोग सफल होने के बाद देश के अन्य रूट पर भी इस तरह की ट्रेनें चलाई जाएंगी। यह संभावित रूट.. कानपुर-दिल्ली, चंडीगढ़-दिल्ली, हैदराबाद-चैन्नई, नागपुर-बिलासपुर, गोवा-मुम्बई और नागपुर-सिकंदराबाद हो सकते हैं।
मंगलवार को दिल्ली-निजामुद्दीन से आगरा के बीच दौड़ी इस ट्रेन ने अपने नियत समय 100 मिनट से एक मिनट पहले ही आगरा पहुंचकर कीर्तिमान रचा। कोच में टॉयलेट केबिन, साइड पैनल और सीलिंग पैनल बनाने का कॉन्टैक्ट वडोदरा की हिंदुस्तान फाइबर ग्लास कंपनी को दिया गया था। इस ट्रेन की गति इतनी अधिक होने के बाद भी इसमें झटके अपेक्षाकृत कम लगते हैं। कोच में एयरक्राफ्ट जैसे सेंसर वाले हाईटेक टॉयलेट भी हैं।
प्लेन की तरह है कोच की डिजाइन:
कम दूरी की यह ट्रेन चेयरकार और दिन में चलने वाली है। ट्रेन में तेजी के साथ एयरक्राफ्ट जैसी सुविधा दी गई है। टॉयलेट में सभी चीजें सेंसर वाली लगाई गई है। यानी इसमें काफी सुविधाएं प्लेन की तरह ही हैं। ट्रेन में हाई पावर इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम, ऑटोमेटिक फाइयर अलार्म, जीपीएस पर आधारित यात्री के लिए जानकारी, इंफोटेंमेंट के लिए लाइव टीवी और कोच में स्लाइडिंग डोर जैसे फीचर्स भी हैं।
अभी 20 कोच तैयार, 50 और बनाए जाएंगे:
हिंदुस्तान फाइबर ग्लास कंपनी के सीईओ आशीष पटेल ने बताया कि इस कोच की डिजाइन ऐसे तैयार की गई है कि यदि ट्रेन 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़े तो भी यात्री को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। अभी हमने केवल 20 कोच ही तैयार किए हैं। बहुत ही जल्द 50 कोच और तैयार किए जाएंगे। एक कोच तैयार करने में एक करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
निजामुद्दीन-आगरा का प्रयोग सफल होने के बाद देश के अन्य रूट पर भी इस तरह की ट्रेनें चलाई जाएंगी। यह संभावित रूट.. कानपुर-दिल्ली, चंडीगढ़-दिल्ली, हैदराबाद-चैन्नई, नागपुर-बिलासपुर, गोवा-मुम्बई और नागपुर-सिकंदराबाद हो सकते हैं।
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